दोस्तो मेरे कलम से निकली मेरे दिल की आह......
प्रकाश रात भर तेरे ख्वाब में उलझे रहे जब उठे तो सवेरा ।।
इश्क प्यार जलते हुऐ उस दीपक की तरह होता है
जाे रोशनी तो देता है फिर बुझने के बाद अंधेरा ।
यौवन की खुशी के सारे बसंत ग़म गीन हो जाते है
बिछड़ने के बाद मुझे लाइलाज बीमारी ने घेरा ।।
मिला था साथ मेरे महबूब जो तेरा जन्नतें सागर में
गिरतें हुऐ मेरे अश्कों ने बना दिया मेरे महबूब का चहेरा ।
रू ब रू थी सामने मेरे अलफाज न निकले दिले शिकवा रहा
प्रकाश रात भर तेरे ख्वाब में उलझे रहे जब उठे तो सवेरा ।।
लेखक ज्ञान प्रकाश् आज और अभी लिखी है दि0 28-11-2014
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