गज़़ल
व़क्त रुक सा गया है, जु़बाँ थम सी गयी है,
जाने के बाद जि़दंगी ,अधूरी सी हो गयी है।।
किससे करुँ बयाँ दर्दे-गम, दिले-ए-हाल ,
दुनिया बड़़ी ज़ालिम और बेरहम भरी हैं ।।
जी मौत के आग़ोश में समाने का चाहता है,
रुँठ गये वो मुझसे ये उनकी बदनसीबी है।।
कम-से-कम बताते तो ब़ज्मेंयारा ख़ता मेरी ,
माँगते जान वो भी इश्कें फ़ना की कहानी है।।
कैसे भूल जाँऊ शबे वस्ल के वो मंज़र,
मैने खूने दिल से तेरी हथेलियाँ रचायी है।।
भरम समझकर इबादत की उम्रभर मैने,
त्ूा पत्थर का बुत बेवफाइ की कहानी है।।
लेखक - ज्ञान प्रकाश
जाने के बाद जि़दंगी ,अधूरी सी हो गयी है।।
किससे करुँ बयाँ दर्दे-गम, दिले-ए-हाल ,
दुनिया बड़़ी ज़ालिम और बेरहम भरी हैं ।।
जी मौत के आग़ोश में समाने का चाहता है,
रुँठ गये वो मुझसे ये उनकी बदनसीबी है।।
कम-से-कम बताते तो ब़ज्मेंयारा ख़ता मेरी ,
माँगते जान वो भी इश्कें फ़ना की कहानी है।।
कैसे भूल जाँऊ शबे वस्ल के वो मंज़र,
मैने खूने दिल से तेरी हथेलियाँ रचायी है।।
भरम समझकर इबादत की उम्रभर मैने,
त्ूा पत्थर का बुत बेवफाइ की कहानी है।।
लेखक - ज्ञान प्रकाश
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