तुम देश निर्माण के आधार हो।
सोने की चिडियाँ जैसा देश,
गुलामी की जंजीरो से बचा लिया,
पर घर के विरोधियों ने,
नरक से बत्तर बना दिया,
शर्मशार कर दिया,
जर्जर कर दिया,
सोचो कल का क्या होगा।
सोचो कल का क्या होगा।।
कब तक सोओगें ,
घरों में अपनें, कहाँ गया रगों का वो लहु,
कहाँ गया केसर सा पसीना,
हिल रही नीव का,
अब कौन आधार हो।
नये देश का निर्माण हो।।
नये देश का निर्माण हो।।
जोश की हुंकार से,
एकता की मिशाल से,
किरणों भरी उडान से,
उठो युवाओं तुम देश के ,
भावी कर्णधार हो,
तुम देश निर्माण के आधार हो।
तुम देश निर्माण के आधार हो।
लेखक . ज्ञान प्रकाश
गुलामी की जंजीरो से बचा लिया,
पर घर के विरोधियों ने,
नरक से बत्तर बना दिया,
शर्मशार कर दिया,
जर्जर कर दिया,
सोचो कल का क्या होगा।
सोचो कल का क्या होगा।।
कब तक सोओगें ,
घरों में अपनें, कहाँ गया रगों का वो लहु,
कहाँ गया केसर सा पसीना,
हिल रही नीव का,
अब कौन आधार हो।
नये देश का निर्माण हो।।
नये देश का निर्माण हो।।
जोश की हुंकार से,
एकता की मिशाल से,
किरणों भरी उडान से,
उठो युवाओं तुम देश के ,
भावी कर्णधार हो,
तुम देश निर्माण के आधार हो।
तुम देश निर्माण के आधार हो।
लेखक . ज्ञान प्रकाश
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