मेरी कब्र पर लिख दिया मेरे महबूब का नाम ।।
मेरी कब्र पर लिख दिया मेरे महबूब का नाम ।।
अपना बनाने की चाहात में सब खो दिया,
न ही खुदा मिला ,न ही विसाले सनम ।
तेरे हाथों की मेहंदी मेरे खून से रची है,
मेरी मौत पर भी ,न हुई तेरी आखें नम।।
कौन सी तराशे मिट्टी से बनी हुई हो तुम,
दिल है पत्थर तेरा, बताओ तो मेरे सनम।।
खता मेरी कौन सी जो इतना सितम किया,
बेनाम जिदंगी में, दिया दिवानगी का नाम।।
कम तो हम भी नही है, न जालिम दुनिया
मेरी कब्र पर लिख दिया मेरे महबूब का नाम ।।
लेखक ज्ञान प्रकाश दि028.12.2014
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