Saturday, 30 May 2015

मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।

मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।

 प्यार भी अगर कोई दुकान पर बिकता होता,
   दुनिया में इश्क का कोई बीमार न होता ।

 "प्रकाश "काम के तो थे, इश्क ने मार दिया,
        मेरे बहते अश्को को पानी न समझा होता ।।
तो मोहब्बत का ढाई अक्षर अधूरा न होता,
    ख्वाहिस है मेरी क़ब्र पर नाम तेरा होता ।

ताजमहल है सातवां अजूवा मोहब्बत का ,
          तो मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।

   लेखक ज्ञान प्रकाश दिनाकं  1.4.2015


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