मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।
मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।
प्यार भी अगर कोई दुकान पर बिकता होता,
दुनिया में इश्क का कोई बीमार न होता ।
"प्रकाश "काम के तो थे, इश्क ने मार दिया,
मेरे बहते अश्को को पानी न समझा होता ।।
तो मोहब्बत का ढाई अक्षर अधूरा न होता,
ख्वाहिस है मेरी क़ब्र पर नाम तेरा होता ।
ताजमहल है सातवां अजूवा मोहब्बत का ,
तो मेरी कब्र आज का आठवां अजूवा होता ।।
लेखक ज्ञान प्रकाश दिनाकं 1.4.2015
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