Saturday, 30 May 2015

बाल -भविष्य अस्त ,सदन में चर्चा क्यों नही



.................................बाल -भविष्य अस्त ,सदन में चर्चा क्यों नही ...................................


 नाटक के पीछे नाटक हो रहा है , सत्ताधारी रोटियां शेक रहे है, सदन में भी को चर्चा नहीं, कुर्सी के लालच में देश भविष्य गडडे में जा रहा है ,सर्यअस्त होता जा रहा है तमाम बेरोजगार दर दर भटक रहे है परन्तु उनसे दैनीय हालात उन मासूमों की है जिनका बचपन उनसे रुठ गया हो , पठाई उनसे दूर भाग गयी हो , उनकी सारी इच्छाओं का दमन हो गया हो लगभग देश के 1 करोड बच्चे इनसे अछूते है वो तो कहीं कल -कारखानों में, कहीं होटलों में तो कहीं ऊंची चहारदीवारियों में बंद कोठियों की साफ -सफाई में लगे मिलते है, बाल श्रम पर बने हुये सारे कानून किताबो में सड रहे है जिन हाथे में इन बच्चो का भविष्य है वही उनके भविष्य के साथ खिलवाड कर रहे है और सारे कानून तोडते दिखाई देते है, इससे भी गभीर तत्व ये है कि देश के 1 करोड बच्चे बालमजदूरी का शिकार है शिक्षा सें और शारीरिक ,मानसिक विकास से वंचित हैं भारतीय संविधान में जो इनका हक है उससे महरूम हैं वह समाज के एक ऐसे ढांचे में पलने को मजबूर हैं जिनके छोटे कंधो पर शसक्त भारत निमार्ण हो सकता है परन्तु वो सही से जीवन को निर्माण दिशा देने में अक्षम है ,  सत्ताधारी , भष्ट आला -अफसरो के कारण बालमन्त्रालय से मिलने वाली योजनाओ को कागजी कार्यवाही में ही रखकर खा लिया जाता है जिनका भविष्य या ता अपराधिक मोड ले लेता है या फिर फुटपात जीवन पर टिका है जिनकी बेनाम जिदंगी का कोई मोल नजर नहीं आता। आखिर क्यों !! क्यो करते है मजदूरी, कहा सोते है सत्ताधारी जनप्रतिनिधि ,क्यो नहीं चर्चा सदन में आखिर क्यों !!!

                                                                                                                       लेखक .ज्ञान प्रकाश

No comments:

Post a Comment